Sunday 5 February 2012

सर्पासन

सर्पासन जैसाकि नाम से ही ध्वनित होता है कि इस आसन में सर्प जैसी आकृति बनायीं जाती है । यह सरल आसनों की श्रृंखला का एक अत्यंत लाभदायक आसन है /
विधि :-
१- सर्वप्रथम आसन पर पेट के बल सीधे लेट जाएँ और अपनी सांसों को क्रमशः सामान्य कर लें  ।
२- अपने दोनों पैरों को आपस में मिला लें और पैरों को नीचे की ओर यथाशक्ति तानें ।
३- अब अपने दोनों हाथों को पीठ पर ले जाते हुए हाथों की अंगुलिओं को आपस में फंसाकर मिला लें ।
४- एक लम्बी गहरी सांस भरें और उसे अंदर की ओर रोकते हुए भरी हुई साँस की स्थिति में अपने सिर और दोनों पैरों को आसन से थोडा ऊपर उठाकर सर्प की तरह दायें बाएं लोटपोट करें ।
५-लोटपोट करते समय दोनों पैर एक दूसरे से मिले और तने  रहें एवं दोनों हाथों की अंगुलियाँ भी आपस में मिली रहें ।
६-यदि  सांस लेने की आवश्यकता महशूस हो तो लोटपोट की क्रिया को दाहिने करवट में  रोक दें ।
७- कुछ देर तक सांसों को सामान्य कर लें और फिर से श्वास भरते हुए इसी क्रिया को एक बार करें ।
८- अब दाहिने हाथ को ऊपर करते हुए दाहिनी करवट लेकर पीठ के बल लेट जाएँ और शवासन में थोड़ी देर    तक विश्राम करें ।
९- शवासन में विश्राम के पश्चात आसन पर पुनः उठकर बैठ जाएँ ।
सावधानी :---सर्पासन की क्रिया उतनी देर तक ही करें जितनी देर तक आप सांस को आसानी से रोक सकें । इस क्रिया के दौरान आपके हाथ और पैर दोनों तने रहेंगे और इस दौरान सिर को आसन से थोडा ऊपर उठाये रखेंगे । इस क्रिया के कारण यदि किसी अंग विशेष में दर्द महशूस हो तो इस क्रिया को तुरंत रोक दें और शवासन में विश्राम करें ।
परिणाम :---
१- इस आसन से रीढ़ की हड्डियाँ मजबूत होती हैं तथा उनमें लोच पैदा होती है ।
२- आँतों में चिपके हुए मल स्वयमेव बाहर निकल जाते हैं ।
३- इस आसन को नियमित रूप से करने पर कब्ज की समस्या सदैव के लिए दूर हो जाती है ।
४- इस आसन के करने से शरीर सुडौल व आकर्षक बनता है ।
५- इस आसन से शरीर में स्फूर्ति पैदा होती है और आलस्य भी दूर हो जाता है ।

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