अर्धचन्द्रासन का अर्थ होता है आधा और चन्द्रासन का अर्थ चन्द्र के समान किया गया आसन / इस आसन को करते समय शरीर की स्थिति अर्धचन्द्र के समान दृष्टिगत होती है/ इसलिए इसे अर्धचन्द्रासन कहते हैं \ इस आसन की स्थिति त्रिकोण के समान बनती है / इसीलिए इसे कुछ लोग त्रिकोणासन भी कहते हैं / यह आसन प्रायः खड़े होकर किया जाता है /
विधि :-
विधि :-
सर्वप्रथम दोनों पैरो की एड़ी एवं पंजो को मिलाकर खड़े हो जाये तथा दोनों हाथ कमर से सटे हुए गर्दन सीधी और नजरें सामने रखें ! अब दोनों टांगों को तान कर पैरों के पंजो को फैलाएं ! इसके बाद दायें हाथ को ऊपर उठाते हुए कंधे के समानांतर लायें फिर अपने बाजू को ऊपर उठाते हुए कान के सटा दें / इस दौरान ध्यान रहे कि बायाँ हाथ आपकी कमर से सटा रहे / फिर दायें हाथ को ऊपर सीधा कान और सिर से सटा हुआ रखते हुए कमर से बाई ओर धीरे धीरे झुकाते जायं / इस दौरान आपका बायाँ हाथ स्वतः नीचे खिसकता जायेगा / यह ध्यान रहे कि बाएं हाथ की हथेली बाएं पैर से अलग न हटने पायें / जहाँ तक हो सके बाएं ओर झुकें, फिर इस अर्ध चन्द्र की स्थिति में ३०-४० सैकड़ों तक रहें / वापस आने के लिए धीरे-धीरे पुनः सीधे खड़े हो जाएँ / अब कान और सिर से सटे हुए हाथे को पुनः हाथों के सामानांतर ले आयें तथा हथेली को भूमि की ओर सरकाते हुए हाथ को कमर के सटा लें / इस प्रकार दायें हाथ से बायीं ओर झुक कर किये गए अर्धचन्द्रासन की यह पहली स्थिति है / अब इसी आसन को बाएं हाथ से दायी ओर झुकते हुए करे तत्पश्चात पुनः विश्राम की अवस्था में आ जाये/ उक्त आसन को ४-५ बार करने से विशेष लाभ होगा /
लाभ :-
-इस आसन को नियमित रूप से करने से घुटने के ब्लैडर, गुर्दे, छोटी आंत लीवर, छाती, फेफड़े एवं गर्दन तक का भाग एक साथ प्रभावित होता है, जिससे ये अंग निरोगी व स्वस्थ रहते हैं ! श्वास , उदर , पिंडलियों, पैरों, कंधो, कुहनियो और मेरूदंड सम्बन्धी रोगों में लाभ मिलता है / यह आसन कटि प्रदेश को लचीला बनाकर पार्श्व भाग की चर्बी को कम करता है/पृष्ठ भाग की मासपेशियों पर बल पड़ने से उनका स्वास्थ सुधरता है और छाती का विकास करता है /
-इस आसन को नियमित रूप से करने से घुटने के ब्लैडर, गुर्दे, छोटी आंत लीवर, छाती, फेफड़े एवं गर्दन तक का भाग एक साथ प्रभावित होता है, जिससे ये अंग निरोगी व स्वस्थ रहते हैं ! श्वास , उदर , पिंडलियों, पैरों, कंधो, कुहनियो और मेरूदंड सम्बन्धी रोगों में लाभ मिलता है / यह आसन कटि प्रदेश को लचीला बनाकर पार्श्व भाग की चर्बी को कम करता है/पृष्ठ भाग की मासपेशियों पर बल पड़ने से उनका स्वास्थ सुधरता है और छाती का विकास करता है /
सावधानी :-
-इस आसन को खाली पेट ही करें तथा यदि कमर में दर्द हो तो यह आसन योग चिकित्सक की सलाह अनुसार ही करें /
-इस आसन को खाली पेट ही करें तथा यदि कमर में दर्द हो तो यह आसन योग चिकित्सक की सलाह अनुसार ही करें /
No comments:
Post a Comment