Wednesday 24 July 2013

नौकासन

नौकासन सरल आसनों की श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण आसन है / इसे नावासन भी कहते हैं / इस आसन को करते समय नाव अथवा नौका के समान आकृति बनने के कारण इसे नौकासन की संज्ञा दी गयी है /

विधि :-

१-  सर्वप्रथम आसन पर पीठ के बल सीधे लेट जाएँ / इस दौरान दोनों पैर आपस में मिले रहेंगे तथा दोनों हाथों को सिर के पीछे फैला लें /
२- अब एक लम्बी एवं गहरी साँस भरें और उसे धीरे धीरे बाहर निकाल दें /
३- श्वास भरते हुए दोनों हाथ आगे करके धीरे धीरे  उठें और श्वास निकालते हुए दोनों हाथों से अपने दोनों पंजों अथवा अंगूठों  को पकड़ें  तथा पैर सीधा आसन पर रखते हुए नासिका अथवा मस्तक को आसन से स्पर्श कराएं /
 ४- - पुनश्च श्वास भरते हुए अपने दोनों पैरों को एक साथ ऊपर उठायें और श्वास निकालते हुए सिर के पीछे ले जाकर अंगूठों को आसन से स्पर्श कराएँ /
५-- उपरोक्त क्रियाएं शीघ्रता से बिना रुके हुए करें /
६- - इस क्रम को सुविधानुसार पांच अथवा दस बार दुहरायें /
सावधानी :-
इस आसन को खाली पेट अथवा भोजन के आठ घंटे पश्चात ही करें /
२-आगे झुकते समय यदि नासिका एवं मस्तक घुटना  से स्पर्श नहीं कर पा रहा है तो यथासम्भव उसे घुटने के पास ले जाएँ एवं अनावश्यक दबाव ना दें / घुटने को उठाकर नासिका से न स्पर्श कराएँ /
३- आसन करते समय यदि किसी अंग विशेष में दर्द या तनाव महशूस हो तो यह आसन कदापि ना करें /
४- दोनों पैर एवं हाथ एक साथ सीधे  ऊपर उठाना चाहिए और सीधे ही नीचे आसन पर लाना चाहिए  /
परिणाम :- 
१- इस आसन के नियमित रूप से करने पर रीढ़ की हड्डियों की बराबर मालिश होती रहती है /
२- इस आसन से पाचन तंत्र सुद्रढ़ व सशक्त बनता है /
३- यह आसन पेट की मांसपेशियों को कम करता है तथा पेट को आगे की ओर निकलने से रोकता है /
४-यह आसन कमर दर्द दूर कर उसमें लोच पैदा करता है /
५- इस आसन  से रीढ़ की हड्डियाँ मजबूत व लचीली बन जाती हैं /

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