Sunday 13 November 2011

ताड़ासन

ताड़ का अर्थ पर्वत एवं सम का अर्थ सरल ,सीधा एवं स्थिर होता है | अतः पहाड़ की तरह  निश्चल एवं सीधे  खड़े रहने की स्थिति को ताड़ासन कहतें हैं | यह शीर्षासन का विपरीत आसन है तथा शंख प्रक्षालन की प्राथमिक मुद्रा है |

विधि :--
१- आसन पर दोनों एडियों में ६ इंच की दूरी रखते हुए एडियों एवं अंगूठों को मिलाकर सीधे खड़े हो जाएँ | तलवों के अग्र भाग को जमीन पर टिकाकर समस्त अँगुलियों को तानें |
२- एडियों को उठाते हुए दोनों हाथों को सिर के ऊपर उठायें |
३- अपने दोनों हाथों को ऊपर उठाकर उँगलियों को आपस में फंसा दें और पेट को अंदर करके गर्दन सीधी करते हुए रीढ़ को ऊपर की ओर तानें |
४- अब पैरों की अँगुलियों के बल खड़े होकर अपनी हथेलियों के अग्र भाग को देखें और शरीर के ऊपरी भाग को ऊपर की ओर पूरी शक्ति से तानें तथा श्वास भी खींचें |
५- ५ से १० सेकेण्ड तक श्वास को रोकें फिर श्वास छोड़ते हुए धीरे धीरे पांव के तलवे के बल खड़े हो जाएँ और भुजाओं  को सिर के ऊपर झुका दें |
६- यह क्रिया ८-१० बार करें | यथासम्भव शीर्षासन के पश्चात इसे करें तथा शीर्षासन में लगने वाले समय के आधे समय तक इसे करें | फैलाव को स्थिति को ५-१० सेकेण्ड तक श्वास को रोकें तथा यथास्थिति बनाये रखें |
७- तिर्यक ताड़ासन के लिए चार बार कमर के बाएं एवं चार बार दाहिने झुकें |बाएं चरम स्थिति में श्वास छोड़ें ,बीच में श्वास खींचें और फिर दाहिने श्वास  छोड़ें |
 ताड़ासन की दूसरी सरल  विधि पीठ के बल आसन पर सीधे लेट जाएँ और दोनों हाथों को सिर के पीछे की ओर ले जाएँ | अब दोनों हाथों को ऊपर की ओर तथा दोनों पैरों को आगे की ओर  अधिक से अधिक तानें | पैरों की उँगलियाँ आपस में मिली हुई एवं शरीर को  मध्य भाग से ऊपर और नीचे दोनों ओर बलपूर्वक  खींचें | इस क्रिया को कई बार दुहरायें | यह विधि उन लोगों के लिए है जो खड़े होकर ताड़ासन करने में असमर्थ हों |  यह क्रिया दो चार बार करें |
शंख प्रक्षालन के दौरान ताड़ासन खड़े होकर ही करें /
परिणाम :---
१- ताड़ासन में हमें शरीर को समान रूप से ऊपर उठाने का अवसर मिलता है | प्रायः हम कभी एडियों के बल अथवा एक पैर के बल खड़े होते हैं जिससे शरीर का पूरा भार पंजों पर नही आ पाता है | अतः पंजों पर समान भार न होने के कारण हम एक ओर झुक कर चलते हैं जिसका उदाहरण हमारे जूतों के घिसे हुए भाग प्रस्तुत करते हैं |
२- यह आसन  शरीर को सुडौल व आकर्षक बनाता है तथा रीढ़ को शक्तिशाली |
३- यह पुरुषों एवं स्त्रियों के भरी और थुलथुली  छाती को हल्की करने में सहायक होता है |
४- योग्य शिक्षक के मार्गदर्शन में यदि गर्भवती स्त्रियाँ इस आसन को प्रथम ५ माह तक करती हैं तो बच्चा आसानी से पैदा होगा अर्थात आपरेशन की आवश्यकता नहीं पड़ेगी |
५- इस आसन को करने से मेरुदंड और शरीर के सभी अंग फैलते हैं जिससे लम्बाई बढ़ाने में यह आसन सहायक होता है |
६ -इस  आसन  के करने से गठिया का दर्द दूर हो जाता है |
७ -कोष्ठबद्धता से छुटकारा पाने के लिए प्रतिदिन सुबह ३-४ गिलास गुनगुना  पानी पियें और ताड़ासन में १०० कदम आगे पीछे चलें |   

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