Sunday 27 November 2011

उष्ट्रासन

उष्ट्रासन में ऊंट  की आकृति बनाई जाती है | इसी कारण इस उष्ट्रासन कहा जाता है | इसकी गणना कठिन आसनों में की जाती है फिर भी निरंतर अभ्यास से धीरे धीरे यह सहज हो जाता है |
विधि :----
१- अपनी जांघों एवं पैरों को एक साथ कर पैरों की उँगलियों को पीछे की ओर जमीन पर रखते हुए जमीन पर घुटने टेक कर बैठ जाएँ |
२-  अब घुटनों के बल खड़े हो जाएँ अपनी दोनों हाथ कमर पर रखकर दोनों अंगूठों से रीढ़ को दबाते हुए रीढ़ को पीछे की ओर झुकाएं एवं पसलियों को तानें |
३- अब श्वास पूरी तरह से बाहर निकल दें और दाहिनी हथेली दाहिनी एडी पर व बायीं हथेली बायीं एडी पर रखें |
४- अब हथेलियों से पैरों को दबाएँ और सिर को पीठ के पीछे ले जाएँ |
५- स्वाभाविक साँस के साथ इस स्थिति में लगभग आधे मिनट से एक मिनट तक रहें | बिना किसी दबाव के शरीर को स्थिर रखें और धीरे धीरे श्वास लेते रहें और छोड़ते रहें |
६- अब हाथों को एक एक करके हटायें और वज्रासन में बैठ जाएँ एवं थोडा रुककर सुखासन अथवा सामान्य आसन में बैठ कर विश्राम करें |
७- जंघों पर कोई दबाव न दें और यह आसन मंद गति से दो चार बार करें |
परिणाम :---
१- उष्ट्रासन से पेट का सम्पूर्ण व्यायाम होता है और कब्जियत भी दूर होती है |
२- पैनक्रियाज ,यकृत ,गुर्दा ,आँतों की बीमारियाँ इस आसन से दूर हो जाती हैं तथा नासूर एवं बवासीर रोगियों को भी राहत पहुंचाता है |
३- यह आसन अशक्त कंधों और कुबड़े व्यक्तियों के लिए विशेष लाभकारी है |
४- यह पीठ के दर्द में आराम पहुंचाता है और पीठ की रक्त वाहिनी नलिकाओं को क्षमता प्रदान करता है |
५- इस आसन से मांसपेशियों में लचीलापन आता है |
६- महिलाओं के मानसिक एवं जनेन्द्रिय सम्बन्धी समस्त रोगों को दूर करता है |
७- गर्भाशय को सुदृढ़ कर गर्भ धारण की शक्ति को बढ़ाता है और प्रदर रोग दूर करता है |
८- यह आसन मधुमेह रोगियों के लिए विशेष लाभदायक माना गया है तथा मूत्र सम्बन्धी रोगों की रोकथाम करता है |
९- शरीर के सभी ग्रन्थियों और नाड़ियों पर सकारात्मक प्रभाव डालता है |
१०- चूंकि इस आसन में रीढ़ को पीछे की ओर खींचा जाता है अतः बूढ़े यहाँ तक कि जिन व्यक्तियों को रीढ़ सम्बन्धी कोई रोग है वे भी इसे सावधानीपूर्वक कर सकते हैं | 
सावधानी :---
१- -जितनी देर तक बिना किसी दबाव के इस मुद्रा में रह सकें उतनी देर ही इसे करें |
२- यदि इस आसन के दौरान किसी अंग विशेष में दर्द या खिंचाव महशूस हो तो वापस वज्रासन में बैठ जाएँ |
 ३- यह आसन सुबह और शाम किसी भी समय खाली पेट किया जा सकता है |
४- जो महिलाएं तीन मास से अधिक समय से गर्भवती हों वे यह आसन ना करें |
५- हृदय रोग व उच्च रक्त चाप के रोगी भी इसे ना करें |

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