Saturday 26 November 2011

पवनमुक्त आसन

पवनमुक्त आसन सामान्य आसनों की श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण आसन है | यह आसन पेट के अंदर की गैस को बाहर निकालने में बहुत प्रभावशाली  है | कब्जियत एवं अपच की शिकायत को तत्काल दूर कर मन और शरीर को हल्का बना देता है | इस आसन को करने के पूर्व शवासन अवश्य कर लेना चाहिए क्योंकि इससे शरीर और मन दोनों शांत एवं शिथिल हो जाते हैं | इसे गैस मुक्त आसन भी कहा जाता है |
विधि :----
१- आसन पर पीठ के बल लेट जाएँ और दोनों पैरों को सीधे फैलाते हुए आपस में मिला लें | अपने  दोनों हथेंलियों को नितम्ब के आस पास रखें |
२- अब बाएं पैर को मोड़ें तथा दोनों हाथों से घुटने को पकडकर श्वास छोड़ते हुए अपनी ओर इस प्रकार  खींचें कि पेट पर दबाव के साथ घुटना नासिका को स्पर्श करे |
३- यथाशक्ति पेट और फेफड़े में भरी हवा को बाहर निकाल दें तथा श्वास को बाहर  रोक कर कुछ देर तक रुकें |एक गहरी श्वास भरें /
४- अब धीरे धीरे घुटने को छोड़ते हुए श्वास छोड़ें और  बाएं पैर को आसन पर सीधा  फैला लें |
५- थोडा विश्राम करने के पश्चात अब दायें पैर को मोड़ें और श्वास छोड़ते हुए घुटने से पेट को दबाएँ एवं घुटने  को  नासिका से  स्पर्श कराएँ /
६ - यथाशक्ति पेट और फेफड़े में भरी हवा को बाहर निकाल दें तथा श्वास को बाहर  रोक कर कुछ देर तक रुकें फिर एक गहरी श्वास भरें /
७- अब धीरे धीरे घुटने को छोड़ते हुए श्वास छोड़ें  और दाएं पैर को आसन पर सीधा  फैला लें |
८ -- अब दोनों पैरों को एक साथ मोड़ें और घुटनों को दोनों हाथों  से पकडकर श्वास छोड़ते हुए  अपनी ओर खींचते हुए पेट को दबाएँ तथा नासिका को दोनों घुटनों के बीच में ले जाएँ  | श्वास को बाहर रोककर यथाशक्ति कुछ देर तक रुकें | फिर श्वास छोड़ते  हुए दोनों पैर एक साथ फैला कर शवासन में विश्राम करें |
९ -- दो चार बार श्वास लेकर श्वास की गति को सामान्य रूप में स्थिर करें और इस क्रिया को दुहरायें | 
सावधानी :-----हृदय रोग से पीड़ित व्यक्ति को यह आसन नहीं करना चाहिए | इस आसन को करते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है :-
१- आसन के दौरान अचानक एवं तेजी से किसी अंग को न तो मोड़ें और न ही फैलाएं क्योंकि इससे जोड़ों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है |
२- इस आसन को करते समय अपनी दोनों आँखों को बंद रखें तथा मन की  आँखों से द्रष्टा बन कर इसे देखते अवश्य रहें |
३- आसन करते समय प्रसन्नचित्त होकर अन्तर्मुखी स्थिति में  अतिशय आनन्द का अनुभव करें |
परिणाम :----
१- पवनमुक्त आसन से आँतों की  भलीभांति मालिश  हो जाती है |
२- इसके नियमित अभ्यास से  वायु विकार और कब्जियत का निवारण होता है |
३- इसको करने से  पेट की  मांसपेशियां शक्तिशाली बन जाती हैं |
४- इस आसन से  दूषित गैस  बाहर निकल जाती है और  मन को शांति प्राप्त होती है  |
५-  यह आसन जोड़ों के दर्द एवं गठिया रोग को भी दूर कर  देता है |

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