शिथिल आसन एक प्रकार से आराम करने का आसन है किन्तु यह रक्त चाप को नियंत्रित करने हेतु एक अत्यंत उपयोगी आसन के रूप में माना जाता है |
विधि :--
विधि :--
१- पेट के बल आसन पर लेट जाएँ और शरीर के सभी अंगों को पूर्णतयः शिथिल रखें |
२- अपनी श्वासों को सामान्य कर लें और ध्यान अपने शरीर पर ही केन्द्रित रखें |
३- अब गर्दन घूमाकर बाएं कान को आसन पर रखें तथा बाएं हाथ को पीठ के सहारे पीछे सीधा करके फैला लें |
४-अब दाहिने पैर को मोडकर घुटने को आगे नाभि के सीध में तथा दाहिने हाथ को मोडकर अंगूठे को नाक की सीध में रखें |
५- इस प्रकार बायाँ पैर और हाथ दोनों सीधा तथा दाहिना पैर और दाहिना हाथ मुड़ा रहे |
६- इस मुद्रा में शरीर को बिलकुल ढीला रखें तथा अपनी आती जाती श्वासों पर ध्यान को केन्द्रित रखें |
७- कुछ देर बाद दोनों हाथ और पैर को सीधा कर लें |
८- अब गर्दन घूमाकर दाहिने कान को आसन पर रखकर बाएं घुटने और बाएं हाथ को इस प्रकार मोड़ें कि आपका बायाँ अंगूठा नाक की सीध में तथा बायाँ घुटना नाभि की सीध में आ जाये | दायाँ हाथ और दायाँ पैर सीधा रखें /
९- शरीर को शिथिल रखते हुए अपने श्वास- प्रश्वास पर ध्यान को केन्द्रित रखें |
१०- थोड़ी देर बाद दोनों पैरों और हाथों को सीधा करते हुए पेट के बल आ जाएँ और शवासन में विश्राम करें |
सावधानी :--
इस आसन को खाली पेट ही करना चाहिए अथवा भोजन के कम से कम ६ घंटे बाद |उच्च रक्त चाप के रोगी दाहिना शिथिल तथा निम्न रक्त चाप के रोगी बायाँ शिथिल आसन न करें |
परिणाम :-
१- इस आसन से अनिद्रा दूर होती है तथा मानसिक तनाव कम हो जाता है |
२- इस आसन का प्रभाव पाचन तंत्र पर भी पड़ता है जिससे कब्जियत दूर करने में सहायता मिलती है |
३- थकान मिटाने का यह सर्वोत्तम आसन है |
४- रक्त संचार में सुधार करके सभी अंगों को शक्ति प्रदान करता है |
५- हृदय रोग और रक्त चाप को संतुलित करता है |
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