Sunday 4 December 2011

सिंहासन

सिंहासन का तात्पर्य सिंह की तरह दहाड़ लगाने से है |यह आसन सरल आसनों की श्रृंखला में माना जाता है |
विधि :----
१- वज्रासन की मुद्रा में आसन पर बैठ जाएँ |
२- अपने दोनों हाथों को दोनों घुटनों के बीच में करते हुए हथेलियों को अगल बगल आसन पर  इस प्रकार रख लें कि पृष्ठ भाग आगे एवं अंगुलियाँ अपनी ओर रहें |
३- अपने शरीर को थोडा आगे की ओर झुका लें |
४- दोनों आँखें खोले  रखें तथा भूमध्य भाग को देखें और सिर को थोडा पीछे की ओर झुकाएं |
५- अपने मुहं को खोलकर यथाशक्ति जीभ को बाहर निकाल लें |
६ - अपनी अँगुलियों को फैलाकर रखें ताकि चेहरे की मांसपेशियों पर पर्याप्त तनाव पड़े   |
७- अब गले  से दहाड़ने की आवाज निकालें |
८- अपने चेहरे  को शेर की आकृति के रूप में देखें |
९- इस स्थिति में १० -१५ सेकेण्ड तक आवाज निकालते रहें |
१०- तत्पश्चात जीभ को अंदर लेते हुए मुंह को बंद कर लें और  नेत्रों को विश्राम दें |
११- वज्रासन की मुद्रा में पुनः बैठकर आराम करें और इस क्रिया को चार पांच बार दुहरायें |
परिणाम :----
१- इस आसन से गला ,गर्दन और चेहरे की मांसपेशियों से अनावश्यक तनाव दूर हो जाता है |
२- चेहरे पर फुंसी या झुर्री की रोकथाम करता है |
३- हकलापन और तुतलाहट जैसे रोगों को दूर करता है |
४- मुंह ,कान ,गला और नाक की बीमारियों को दूर करता है |
५- यह आसन चेहरे को आकर्षक व सुंदर बनाता है |

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