Saturday 10 December 2011

मकरासन

मकरासन सरल आसनों की श्रृंखला का एक विशेष लाभकारी आसन है जिसे खाली पेट अर्थात भोजन के ६ घंटे पश्चात किया जा सकता है |
विधि :---
१- आसन पर पीठ के बल लेट जाएँ और शरीर के सभी अंगों की शिथिल कर दें |
२- अपने दोनों पैरो को मोड़ें ,एडियों को जंघाओं से मिलाते हुए पंजे को आसन पर स्थिर करें  |
३- दोनों हाथों को कंधे की सीध में इस प्रकार  फैला लें क़ि हथेलियाँ ऊपर आकाश क़ी ओर अधखुली  रहें |
४- अब सम्पूर्ण शरीर को तानें तथा  श्वास भरते हुए दोनों घुटने एक साथ मिले हुए दायीं ओर और गर्दन बायीं ओर आसन को स्पर्श करे |
५- यथासम्भव रुकने के बाद श्वास छोड़ते हुए वापस आ जाएँ |
६- अब श्वास भरते हुए दोनों घुटनों को बायीं ओर और गर्दन  को दायीं ओर आसन से स्पर्श कराएँ तथा कुछ देर रुकने के पश्चात श्वास छोड़ते हुए घुटने एवं गर्दन को  यथास्थान वापस ले आयें |
७- इस क्रिया को दो चार बार करें और फिर विश्राम करें |
८- इस आसन के दौरान सम्पूर्ण ध्यान स्वाधिष्ठान चक्र पर केन्द्रित होना चाहिए |
मकरासन क़ी दूसरी विधि इस प्रकार है :-----
१- अपने दोनों हाथों को कंधों के समानांतर इस प्रकार फैला दें क़ि हथेलियाँ आकाश की ओर रहें |
२- अपने दोनों पैरों को मिलाएं और बाहर क़ी ओर खींचते हुए उन्हें ६० अंश के कोण तक ऊपर उठायें ,दोनों हाथों को दोनों ओर खींचे तथा पंजे को बाहर क़ी ओर रखते हुए दायीं ओर ले जाएँ और श्वास भरते हुए गर्दन को बायीं ओर मोड़ दें |
३- अब पंजों को वापस लाते हुए श्वास को धीरे धीरे बाहर निकाल दें  और गर्दन को भी पूर्व स्थिति में वापस ले आयें
४- पुनः श्वास भरते हुए पैरों को विपरीत दिशा में बायीं ओर ले जाएँ और गर्दन को दायीं ओर मोड़ दें |
५- इस क्रिया को दो चार बार दायें एवं दो चार बार बाएं करें  और शिथिल आसन में विश्राम करें |
सावधानी :---इस आसन को खाली पेट ही करना चाहिए | इस आसन के दौरान किसी मुद्रा में जाते समय श्वास भरना होता है और वापस आते समय श्वास निकालना होता है |
परिणाम  :-----
१- घुटना अथवा उसकी कटोरी यदि खिसक गयी हो तो इस आसन के अभ्यास से कटोरी यथास्थान स्थित हो जाती है तथा घुटने के दर्द दूर हो जाते हैं |
२- साइटिका और गर्दन के दर्द में भी इस आसन से राहत मिलती है |
३- फेफड़ों की बीमारी एवं दमा रोग से ग्रस्त व्यक्ति  को इस आसन से लाभ मिलता है |
४- यह आसन पेट की चर्बी को कम करता है तथा कब्ज भी दूर करता है |
५- इस आसन से आँतों की विधिवत  मालिश  हो जाती है |

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