Saturday 29 October 2011

वज्रासन

आसनों की श्रृंखला में वज्रासन एक सरल व अत्यंत लाभकारी  आसन की श्रेणी में रखा गया है |यह एक मात्र ऐसा आसन है जो खाना  खाने के तुरंत बाद भी किया जा सकता है |  इस आसन को आप अख़बार पढ़ते समय अथवा टी .वी . देखते समय भी कर सकते हैं /
विधि :----
१- किसी समतल स्थान पर एक कम्बल का टुकड़ा अथवा चादर बिछाकर उस पर अपने दोनों घुटने इस प्रकार मोड़कर बैठें कि दोनों जंघाएँ पैरों पर टिकीं  हों तथा एडियाँ दायें बाएं नितम्ब को स्पर्श करती हुई अगल बगल  लेटी हों |
२- पैर के दोनों अंगूठे आपस में मिले हों तथा तलवा ऊपर की ओर रहे |
३- नितम्बों को पैर के तलवे के बीच में रखें व टखनों को जांघों से स्पर्श कराएँ |
४- अंगूठों से लेकर घुटने तक के भाग जमीन को स्पर्श करते रहें |
५- सम्पूर्ण शरीर का भार घुटनों एवं आंशिक रूप से नितम्बों पर रखें |
  ६-  अपने घुटनों पर दोनों हाथों की  हथेली रखते हुए अपने हाथो को शिथिल रखें |
७- घुटने एक दूसरे के थोड़ी दूरी पर रहें |
८- सिर, गर्दन और मेरुदंड एक सीध में स्थित होने चाहिए | कुछ दूर पर सामने किसी वस्तु को एकटक देखते भी रह सकते हैं किन्तु आदर्श स्थिति में दोनों आँखें बंद ही  रखना चाहिए |
९- शरीर को शिथिल रखते हुए आराम से दोनों आँखें बंद करके बैठे तथा अपनी सांसों के आवागमन को मन की आँखों से देखते रहें  |
१० -इस स्थिति में १० से १५ मिनट तक बैठें तथा स्वाभाविक  रूप से श्वसन क्रिया करते रहें |
सावधानी :---
-पूरे समय तक सीधे बिना हिले डुले बैठे रहें | श्वास लेते और छोड़ते समय मन ही मन १०० तक की गिनती गिनते रहें तथा अपनी आँखों को बंद रखें |यदि इस दौरान आपके शरीर के किसी भाग अथवा घुटनों में दर्द मह्शूश हो तो इस आसन को कदापि न करें और सुखासन या पद्मासन में बैठ जाएँ | इस आसन पर बैठते समय यह ध्यान रहे कि नितम्ब एडियों पर ना रहें  बल्कि उनके अगल बगल स्थित हों | 
वज्रासन से लाभ :-----
१-वज्रासन सम्पूर्ण मेरुदंड का तनाव दूर करता है तथा तलवों एवं जंघाओं के खिंचाव को  भी दूर करता है  |
२- पैर और अंगूठों को शक्ति प्रदान करता है |
३- मन्दाग्नि रोग से ग्रस्त और ह्रदय रोगी को भोजन के उपरांत थोड़ी देर इस आसन पर अवश्य बैठना चाहिए |
४- यह आसन घुटने के रोगों से मुक्ति प्रदान करता है |
५- इस आसन पर बैठने से पाचन क्रिया तेजी से अपना कार्य करने लगती है |
६- पैरों की नाड़ियों, स्नायुओं और मांसपेशियों को सशक्त बनाता है |
७- इससे गठिया और  साइटिका का दर्द दूर हो जाता है |
 ८- सर्वाइकल के दर्द में भी यह आसन राहत प्रदान करता है |
९- कब्जियत और गैस की शिकायत को भी  दूर करता है |
१०- यह आसन  बवासीर में आराम देता है |
११-अमाशय एवं गर्भाशय की मांसपेशियों को सशक्त करता है

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